सोमवार, 24 दिसंबर 2007

अमेरिका की मदद से भारत में आतंक

अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक पाकिस्तान को दी जाने वाली अमरीकी सैन्य मदद में से एक बड़ा भारत के खिलाफ़ हथियार बनाने पर खर्च किया जाता है. समाचार पत्र ने अधिकारियों के हवाले से कहा है कि इसमें से ज़्यादातर पैसा इस्लामिक चरमपंथियों से लड़ने के बजाय भारत के खिलाफ़ हथियार बनाने वाली व्यवस्था पर खर्च किया गया है. अमरीका पाकिस्तान को 'आतंकवाद के खिलाफ़' अभियान चलाने पर खर्च किए गए धन की प्रतिपूर्ति करता है. पिछले दिनों अमरीकी कांग्रेस ने पाकिस्तान को सैन्य मदद देने पर कुछ हद तक रोक लगाने के लिए अपना मत दिया था। उसने ऐसा पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को प्रजातांत्रिक अधिकार बनाए रखने के लिए दबाव डालने के लिए किया था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बिना नाम लिए अमरीका में प्रबंधन और सेना के कुछ अधिकारियों के हवाले से बताया कि वहां इस पैसे पर बहुत कम नियंत्रण है। अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि अमरीका ने पाकिस्तान को इस मद में खर्च किए गए ईंधन, हथियारों और दूसरे खर्चों के लिए बढ़ी हुई दर पर लाखों डॉलर दिए हैं. समाचार पत्र में इस कार्यक्रम की समीक्षा करने वाले अमरीकी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि इसमें महँगाई को अतिशयोक्तिपूर्ण यानि बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है. " उन्होंने कहा, "तब मैने अमरीका में इसे उठाया और कहा कि हमें उन्हें इस तरह पैसा नहीं देना चाहिए था." यह पाँच अरब डॉलर उस कार्यक्रम के ज़रिए दिए गए हैं जिसमें पाकिस्तान को आतंकवाद से निबटने के लिए सैन्य अभियान चलाये जाने पर हुए खर्च की भरपाई की जाती है। पत्र के अनुसार पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमरीका पर आरोप लगाया है कि उन्होंने देश के उन्नत हेलीकॉप्टर, वायुयान, रेडियो और रात में देखने वाले उन उपकरणों को बेचने से इंकार कर दिया जिनकी उन्हें ज़रूरत है. पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल वाहिद अरशद ने समाचार पत्र को बताया कि इन उपकरणों के ऐसे बहुत से पहलू हैं जिन्हें हम हासिल करने के इच्छुक हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा और भी बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्होंने चरमपंथियों के खिलाफ़ जारी इस जंग को नुकसान पहुँचाया है।

(आशुतोष पाण्डेय)

बच्चों का मानसिक संरक्षण

हल्द्वानी २५ दिस, २००७, गीत एजुकेशन अकादमी के तत्वाधान में आयोजित “बच्चों का मानसिक संरक्षण” विषय पर विचार गोष्ठी में आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि बच्चों के पूर्ण विकास के लिए उनके समन्वित विकास पर जोर देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश के बच्चे शारीरिक, मानसिक, ओर बौद्धिक रुप से पिछडे हें। प्रतियोगिता के इस दौर में हम अपने बच्चों को दौडा तो रहे हैं पर उनके पूर्ण विकास के लिए मात्र उनसे वादे ही कर पा रहें हैं. महज स्कूली शिक्षा उनका भला नहीं कर सकती है, हमें अपनी मैकाले कालीन शिक्षा व्यवस्था को बदलना ही पड़ेगा. कुमारी अंजू सैमुअल ने कहा कि अगर हम अपने बच्चों का सही विकास चाहतें हैं तो हमें सही दिशा में व्यापक प्रयास करने होंगे आज हमारी आवश्यकता एक ऊँची शिक्षा नही बल्कि प्रतियोगिता के लिए तैयार करने वाली एक उपयोगी शिक्षा होनी चाहिए. उन्होने कहा की मात्र सरकारी प्रयासों से बच्चों की स्तिथि नहीं बदली जा सकती है. इसके लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर से प्रयास करने चाहिऐ. अन्य वक्ताओं पवन शर्मा, निधि तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये. गोष्ठी की अध्यक्षता आशुतोष पाण्डेय ओर संचालन अंजू सैमुअल ने किया।

(इनसाईट स्टोरी टीम)