शनिवार, 5 जुलाई 2008

सिगरेट से आपके बच्च्चे की जान को ख़तरा

इस लेख पर मुझे कई प्रतिक्रिया मिली हैं। सिगरेट पीने वालों और न पीने वाले दोनों की। आपकी प्रेरणा से इस श्रृंखला को आगे ले जा रहा हूँ।

"जब तक है जी जी भर कर पी।

जब न रहेगा जी कौन कहेगा पी"॥

आप जानते हैं सिगरेट क्या है, किसी ने ठीक ही खा है सिगरेट तम्बाकू से भरी कागज की एक नली है जिस के एक ओर आग और दूसरी ओर एक बेवकूफ होता है।

हर फ़िक्र को धुँए में उडाता चला गया ०००००००००००००००

अपने मर्ज को बढ़ता चला गया ०००००००००००००००० ००० ।

खैर सिगरेट के एक कस से आपकी फ़िक्र का तो न जाने क्या होगा, लेकिन यकीन मानिये आपकी सिगरेट का ये धुआं आपके आस पास के लोगों का जीवन नर्क बना देता है। आप तो पीतें हैं मस्ती के लिए, गम भुलाने के लिए या फ़िर फ़िक्र को उड़ने के लिए, लेकिन अपनों को पीने के लिए क्यों मजबूर करते हैं। आप स्मोकर हैं तो हमें पैसिव स्मोकर क्यों बना रहे हैं। तरस कहीये अपने उन मासूम बच्चों पर जो जो आपकी शौक के शिकार हो रहे हैं। जरा गौर कीजिये अगर कल आपका बच्चा होठों में सिगरेट दबाये ये गुनगुनाये तो आप क्या करेंगे?

हर फ़िक्र को धुँए में उडाता चला गया ०००००००००००००००।

इरादा बदला या अभी भी ये शौक जिन्दा रखेंगे। या सिगरेट छोड़ कर अपने बच्चों को जिन्दगी का गिफ्ट देंगे।

कल ४ जुले २००८ को मेरे पास पुणे महाराष्ट्र से एक पाँच साल की बच्ची का फोन आया ००००००० मेरे पापा भुत सिगरेट पीतें हैं अपने दो कमरों के किराये के मकान हर कोने से मुझे सिगरेट की बदबू आती है। में घर छोड़ देना चाहती हूँ प्लीज मेरे पापा के कुछ करो ना.... अगर में इस बच्ची के पापा की सिगरेट छूटा पाता तो शायद... लेकिन आप से कहूँगा प्लीज आपके बच्चे आप से परेशान ना हों इसके लिए छोड़ दे।

शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

मेरा बच्चा............. ये कैसा प्यार!

पहले महिला से पुरूष बना और फ़िर दिया एक बच्चे को जन्म। इसे क्या कहें? चमत्कार या फ़िर पागलपन?
आज जब भारत में माएं बच्चो को जनम देकर मार रही हैं या फ़िर नवजात शिशु को नहर में बहा देने से गुरेज नहीं कर रही हैं वहाँ अमेरिका में ऐसा वात्सल्य वास्तव में अपने आप में एक मिशाल साबित हो सकता है। थॉमस बिटी ने 20 वर्ष की आयु में अपना लिंग परिवर्तन करवा लिया था। अमरीका में थॉमस बिटी नाम के एक पुरुष ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है। थॉमस पैदाइशी तौर पर एक महिला हैं जो सर्जरी के जरिए अपना लिंग परिवर्तन करवा कर पुरुष बन गई थीं। थॉमस बिटी ने ऑपरेशन के बाद अपने सीने की ग्रंथियों को हटवाकर पुरुषों की तरह सपाट करवा लिया था, लेकिन अपने अंदरूनी अंगों को नहीं बदलवाया था। अमरीकी मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार ऑरेगन के बेंड शहर स्थित एक अस्पताल में थॉमस बिटी और उनकी नवजात बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। एक अनाम पिता के वीर्य से थॉमस बिटी ने गर्भधारण किया था। बेंड स्थित सेंट चार्ल्स मेडिकल सेंटर के सूत्रों के अनुसार बिटी ने रविवार को प्राकृतिक रूप से बच्ची को जन्म दिया। वहीं कुछ अन्य ख़बरों में बताया गया है कि बिटी ने ऑपरेशन के बाद बच्ची को जन्म दिया है। बिटी ने अप्रैल में एक टीवी चैट शो में इस बात की घोषणा की थी कि वह गर्भवती हैं. जिसके बाद वह पूरी दुनिया में ख़बरों का केंद्र बन गए थे.
इस शो में उन्होंने कहा था कि उनका सपना है कि एक दिन वह एक बच्चे को जन्म दें।
थॉमस के अनुसार मैंने अपने जननांगों के साथ कुछ नहीं किया था, क्योंकि मैं एक बच्चा चाहता था।
बिटी ने अपना जीवन हवाई में ट्रेसी लागोंदिन के नाम से शुरू किया था, वहाँ उन्होंने किशोरियों की एक सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और फ़ाइनल तक पहुँचीं थीं। 'पीपुल' नाम की पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि 20 साल की उम्र में उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन करवा लिया और एक पुरुष के रूप में रहने लगे। लेकिन शायद एक औरत की माँ बनने की हसरत को वो अपने दिलो दिमाग से नही मिटा सकी।
वैसे एक पुरूष के तौर पर उन्होंने नैंसी नाम की एक महिला से शादी भी की। उनकी यह शादी पाँच साल तक चली। भारतीय हाई फाई माएं भी अपनी कोख से बच्चे को जन्म देना अपनी हसरतों में शामिल कर लें।



आशुतोष पाण्डेय

मंगलवार, 1 जुलाई 2008

सिगरेट से आपके बच्चे की जान को खतरा

(इन्साईट स्टोरी) अगर आप धुम्रपान करने के शौकीन हैं और हर बार इसके लिए घर से बाहर यह सोचकर निकल जाते हैं कि इससे आपके बच्चे सुरक्षित रहेंगे तो यह ख्याल गलत है। आपके बच्चों को उस हालत में भी 'पैसिव स्मोकिंग' का खतरा बना रहता है और वे इसके दुष्प्रभाव झेलते हैं। आस्ट्रेलिया में हुए एक नए अध्ययन से सामने आया है कि पैसिव स्मोकिंग (इसे सेकेण्ड हैण्ड स्मोकिंग भी कहते हैं) से आपके बच्चे सिर्फ इसलिए बचे नहीं रह सकते कि आप बाहर जाकर धुम्रपान कर रहे हैं। इस बारे में कर्टिन तकनीकी विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने धुम्रपान करने वाले अभिभावकों के सांस से निकलने वाले कणों की जाँच की और पाया कि धुम्रपान करने का प्रभाव उनकी सांसों में 24 घंटे बाद भी रहता है। यह प्रभाव 4 से 9 साल के बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी विपरीत प्रभाव डाल सकता है। जाँच में मिला कि जो अभिभावक घर से बाहर जाकर भी धुम्रपान करते हैं उनके घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर तक निकोटीन पाया गया जो कि काफी गंभीर बात है।इस शोध को करने वाले वैज्ञानिकों में अग्रणी रहे डॉ. क्रासी रूमचेव कहते हैं कि इस अध्ययन से अब साफ हो गया है कि अभिभावकों को सचेत हो जाना चाहिए और बच्चों की सुरक्षा की खातिर घर के बाहर भी धुम्रपान करने से बचना चाहिए। अभिभावक अगर इस लत से पीछा छुड़ा लें तो इससे अच्छी तो बात ही नहीं होगी। वे बताते हैं कि बाहर से धुम्रपान करने के बाद घर के अंदर सिर्फ सांसें लेने से ही सब कुछ विषैला हो सकता है क्योंकि ये कण कपड़ों में भी चिपक सकते हैं। उल्लेखनीय है कि यह शोध 'इंडोर एयर' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

(अंजू 'स्नेहा')

मंगल पर बर्फ


अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी - नासा का मानना है कि उसके अंतरिक्ष यान फ़ीनिक्स ने मंगल ग्रह पर बर्फ़ होने का ठोस दिया है। यान को मंगल पर एक गड्ढ़े की सतह खोदने पर कोई चमकीली चीज़ मिली जो मंगल ग्रह के हिसाब से चार दिन बाद ग़ायब हो गई। नासा का अनुमान है कि चमकीली चीज़ बर्फ़ थी जो चार दिनों में भाप बनकर उड़ गई। एक दूसरे गड्ढ़े को खोदने के बाद यान को उसी गहराई पर कुछ ठोस सतह मिली। इससे इस बात को बल मिलता है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे स्थायी रूप से जमा हुआ पानी है।
टस्कन के एरिज़ोना विश्वविद्यालय में आ रही सूचनाओं का अध्ययन कर रहे फ़ीनिक्स यान के प्रमुख शोधकर्ता डा0 पीटर स्मिथ कहते हैं, "इसे बर्फ़ ही होना चाहिए। कुछ दिन बीतने के बाद ही ये छोटे-छोटे टुकड़े पूरी तरह से गायब हो जा रहे हैं। यह ठोस सबूत है कि ये बर्फ हैं"। उनका कहना है, "कुछ सवाल हैं कि क्या यह चमकीली चीज़ नमक हो सकती है लेकिन नमक ऐसा नहीं कर सकता।"
फ़ीनिक्स ने मंगल पर उतरने के बीसवें दिन एक गड्ढ़े को खोदकर बर्फ़ के इन टुकड़ों को खोजा और उनकी तस्वीरें ली। चार दिन बाद यान ने दोबारा उसी जगह की तस्वीर ली लेकिन तब तक कुछ टुकड़ें ग़ायब हो चुके थे। इससे पहले बर्फ़ के मिलने की उम्मीदें कम होती जा रही थीं क्योंकि मंगल की सतह पर से ली गई मिट्टी में पानी का कोई नामो-निशान तक नहीं मिला था। मंगल पर बर्फ़ होने के सबूत इससे पहले भी जुटाए गए थे। लेकिन फ़ीनिक्स के इस अभियान का असल मक़सद उन साक्ष्यों का पता लगाना है जिससे इस ग्रह के ध्रुवीय इलाक़ों में बसने के विचारों को ताक़त मिले। देखना यह है की आख़िर कब तक मंगल ग्रह का रहस्य खुलकर सामने
आएगा।


आशुतोष पाण्डेय
संपादक इंसाईट स्टोरी