शनिवार, 1 नवंबर 2008

शिक्षा मौलिक अधिकार

भारत सरकार ने लंबे समय से लटके शिक्षा को मौलिक अधिकार प्रदान करने वाले विधेयक को मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक में छह से 14 साल तक के बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नई दिल्ली में पत्रकारों को मंत्रिमंडल के फ़ैसले की जानकारी दी। मंत्रिमंडल की बैठक गुरुवार रात को हुई थी। उन्होंने बताया, "कई स्तर पर मंत्रियों के समूह ने इस विधेयक पर विचार-विमर्श किया। अब मंत्रिमंडल ने विधेयक के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है।" इसके बाद अब यह केंद्र और राज्य सरकारों का क़ानूनी दायित्व होगा कि वे छह से 14 साल तक के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय चुनाव आयोग से सलाह-मशविरा करने के बाद विधेयक का मसौदा जारी कर देगा.
मंत्रियों के समूह को यह काम सौंपा गया था कि वे इस विधेयक की समीक्षा करें. इस महीने के शुरू में मंत्रियों के समूह ने विधेयक के मसौदे को मंज़ूरी दे दी थी. मंत्रियों के समूह ने किसी भी विवादित प्रावधान को हटाने की कोशिश नहीं की. इनमें वो प्रावधान भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि प्राइवेट स्कूलों में शुरुआती स्तर पर विपन्न बच्चों के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण रहेगा।
विधेयक में यह भी प्रावधान है जाँच प्रक्रिया के नाम पर बच्चों या उनके माता-पिता से ना तो साक्षात्कार होगा, न डोनेशन देना होगा औ न ही कैपिटेशन फ़ीस ही लगेगा.
शिक्षा के अधिकार वाला विधेयक से ही संविधान के 86वाँ संशोधन को अधिसूचित किया जा सकेगा। इस संशोधन के तहत छह से 14 साल तक के बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है. संसद ने इसे दिसंबर 2002 में पास किया था।

आशुतोष पाण्डेय