शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

चाँद, चांदी और पानी ........

चाँद पर पानी और चांदी क्या कहने? अब तो चाँद पर जाने वालों को एक नया काम मिल गया चांदी काटने का. नासा के वैज्ञानिकों ने चांद के दक्षिणी ध्रुव से लाए गए जमे हुए क्रेटर के हिस्से के विश्लेषण के बाद पाया है कि चांद की मिट्टी में इतना पानी है कि वहां जानेवाले अंतरिक्षयात्रियों का काम चल सकता है. ये तथ्य उस प्रयोग के बाद सामने आया है जिसमें एक रॉकेट को चांद पर मौजूद एक गढ्ढे में टकराया गया था. उसके कुछ ही मिनटों में एक उपग्रह को उस टकराव से उठे धूल और भाप के बीच से गुज़ारा गया. उपग्रह को काफ़ी मात्रा में जमा हुआ पानी, कार्बन डाइ ऑक्साइड, अमोनिया और चांदी के भी अंश मिले. नासा के वैज्ञानिकों के दल के अनुसार  जिस क्रेटर से रॉकेट को टकराया गया उसमें से 175 किलोग्राम भाप और बर्फ़ निकली. नासा का कहना है कि पानी इतना है कि आनेवाले दिनों में जो अंतरिक्ष अभियान होंगे उस पर जानेवाले अंतरिक्षवैज्ञानिक उस पानी का इस्तेमाल कर सकेंगे. नासा के एक वैज्ञानिक का कहना था, “जो पानी है वो बर्फ़ के छोटे-छोटे दानों में है. ये अच्छी ख़बर है क्योंकि इसे इस्तेमाल करने के लिए बहुत गर्म नहीं करना पड़ेगा. यदि आप उसे कमरे के तापमान पर भी ले आते हैं तो उसे धूल में से निकालना बेहद आसान होगा.” लेकिन गौर तलब बात ये है कि  जमा हुआ ये पानी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर हर जगह हो ऐसा नहीं है. ये कई छोटी-छोटी  जगहों में सिमटा हुआ है. शोध से ये भी पता चला है कि जमा हुआ पानी उन इलाकों में भी हो सकता है जिन्हें हमेशा सूरज की रोशनी मिलती है बशर्ते वो सतह से काफ़ी नीचे हों.
इनसाईट स्टोरी के लिए आशुतोष पाण्डेय