सोमवार, 20 जून 2011

इक्कीस वीं सदी का अंध विश्वास

२१वीं सदी और अंधविश्वास एक और माडर्न होने का दावा वहीं दूसरी ओर अंधविश्वासों की गिरफ्त. हम कहाँ हैं ये  सवाल एक यक्ष प्रश्न है, आज हम ऐसे ही एक अंधविश्वास से आपको दो चार करवा रहें हैं, उत्तराखंड में एक देव पूजन की विधि है "जागर" यह जागरण का ही एक रूप है जिसमें देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता था, किसी भी शुभ अवसर पर इष्ट देव या ग्राम देव को पूजने की एक प्रथा थी, इसका उल्लेख कहीं न कहीं वैदिक साहित्य और अन्य अभिलेखों में मिलता है. लम्बे समय तक इसका स्वरुप इसी प्रकार का बना रहा लेकिन समय के साथ इसके रूप में परिवर्तन किया हुआ और इसे कई अंधविश्वासों के साथ जोड़ दिया गया, पूजा के साथ बलि और अन्य तमाम विधानों को जोड़ कर इसे पेट भरने और लोगों को भरमाने का जरिया बना दिया गया, आप आज उत्तराखंड के गाँव या कस्बों में ये खुले आम देख सकतें हैं की किस प्रकार कुछ लोग लोगों को भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा कर रहें हैं. ये लोग चावल देख भूत काल की ५ पीढी से पहले की ऐसी घटनाएँ बताते हैं, जिन के बारे में इस पीढी को कुछ भी पता नही होता है, अधिकतर ये घटना किसी स्त्री के साथ हुए अन्याय से जुडी होती हैं. पांच पीढी या उससे पहले की घटनाओ को इतने सही तरीके के साथ प्रस्तुत किया जाता है की आम आदमी इस पर अनायास ही विश्वास कर लेता है, इसके बाद एक सिलसिला शुरू होता है पूजा पाठ और बलि का, इसमें "अहंकार पूजन", "रोष पूजन", "मृत आत्माओं का अवतार", "उनकी तृप्ति", मृत और अतृप्त आत्माओं की मंदिर बना स्थापना तक करवा दी जाती है. अक्सर देखा गया है की कोई परिवार एक बार इस में फंस जाय तो उसका निकलना मुश्किल ही होता है और आगे फंसता ही जाता है. एक बार पूजा करवाने के बाद फिर कह  दिया जाता है की पूजा में गड़बड़ हो गयी है, इन गड़बड़ियों की बानगी देखिये जैसे पूजा में काले मुर्गे की जगह सफ़ेद मुर्गा इस्तेमाल होना था, या फिर किसी के मन में कोई खोट था, या फिर पूजा जहां देनी थी, वहाँ नहीं दी गयी. लेकिन समाज इस जंजाल में इतनी बुरी तरह फंसा है की वो कोई सवाल पूछता ही नहीं है, जब पूजा करवाई जा रही थी तो आपके कहे अनुसार किया था तो गलत कैसे हो गया? अब ज़रा आपको इन पूजाओं  के सभी चरणों के बारे में बताएं सबसे पहले किसी चावल देखने वाले (जिसे पुछार या पुछयार कहतें हैं) के पास चावल लेकर जाना होता है, इसके बाद चावल देखकर उक्त व्यक्ति कोई भूत काल की कहानी सुनाता है जैसे आपकी पांच या सात पीढी पहले की कोई स्त्री की आत्मा भटक रही है जिसके साथ आपके पूर्वजों ने अन्याय किया था .इस पर विश्वास करना आसान भी हो जाता है क्योंकि कुछ समय पहले तक यहाँ बहु-विवाह प्रथा के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं. इसके बाद ये पुछ्यार करार रखने को कहते हैं और बताते हैं की ६ महीनों में इसकी पूजा करवानी होगी, छः माह के भीतर जागर लगानी होती है इस जागर में एक नाचने वाले और एक हुडका (उत्तराखंड का एक डमरू जैसा वाद्य) बजाने वाला (डंगरिया) आकर जागर लगाता है, इस प्रकार नाचने वाले व्यक्ति के शरीर में देवता का अवतार होता है और वो बताता है की किसी स्त्री के साथ जमीन, जायजाद, नपुंसकता, अंतिम संस्कार ना करने या फिर दूसरी शादी करने के कारण जो अन्याय  हुआ है उसी की बद दुआ के कारण उक्त स्त्री प्रेत रूप में भटक रही है यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो परिवार के ऊपर विनाश का पहाड़ टूट जाएगा. फिर परिवार के लोग इसका निवारण पूछते हैं तो सभी को एक ही निवारण बताया जाता है जैसे, वो हरिद्वार जाकर इसका क्रिया कर्म करें फिर घर लौट कर जागर लगायें, और पूजा में इस आत्मा की तृप्ति के लिए  बकरे की बलि देने को कहा जाता है, इसके बाद एक साल के अन्दर अन्य कई पूजा करवाने को कहा जाता है, एक बार की इस पूजा का खर्च लगभग १० से ५० हजार तक आ जाता है. इतना सब करने के बाद कहा जाता है पिछली पूजा में कोई विधान गलत करवा दिया गया था, फिर से पूजा करवानी पड़ेगी. इस प्रकार ये अंत हीन सिलसिला चलता ही रहता है. इस प्रकार कई परिवार बर्बाद हो गए हैं, और कुछ लोगों का धंधा चल निकला है और सभ्यता और आधुनिकता का दावा करने वाला नवयुवा भी इसकी गिरफ्त में है, असल में उसे अनिष्ट की आशंका से इतना डरा दिया जाता है की वो अपना सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाता है, जब हमने लोगों से उनके विचार जानना चाहे तो जो जवाब मिले वो लाजवाब थे, हमारा सवाल था की कैसे मान लेतें हैं कि ये सब सच है जवाब सुनिए कई चावल देखने वालों ने एक ही बात बतायी की किसी महिला के साथ हमारे पूर्वजों ने अन्याय किया था (वास्तव में सभी चावल देखने वाले एक ही बात बताते हैं, आप खुद इनके पास जाकर देख लें). दूसरा सवाल था कि ये पूजा गलत कैसे हुयी और उक्त आत्मा तृप्त क्यों नहीं हुयी? इसका भी उत्तर करीब करीब सामान मिला पूजा के किसी विधान को नही किया गया, या जैसा करना था वैसा नहीं हुआ. अब क्या करेंगे? इसका जवाब मिलता है फिर पूजा करनी है पिछली बार से इस बार बड़ी होगी. बलि की बात पर भी वो लोग अडिग दिखते हैं. लेकिन जब ये पूछा जाता है कि किसी की जान लेकर कैसे आप अपना भला कर लेंगें इस का कोई जवाब किसी के पास नहीं होता है. अब क्या इस समाज को सभ्य कहा जा सकता है. हम आत्मा या उसके अस्तित्व पर कोई बहस नहीं छेड़ना चाहतें हैं. आज वैज्ञानिक भी इसके स्वरुप को मान रहें हैं और सापेक्षिता के सिदधांत को देखें तो इनका अस्तित्व नकारा नहीं जा सकता है, दुनिया की पुरातन संस्कृति से लेकर आज का विज्ञान भी इसे जब स्वीकार कर रहा है तो इसके लिए कसौटी क्या हो ये सवाल अहम् हैं और दूसरा सवाल इस प्रकार लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ का है. अभी एक आत्मा की शांति के लिए ना जाने कितने जीवों की बलि दी जायेगी. क्या ये हो सकता है की एक जान लेकर कोई आत्मा शांत हो जाय? ये प्रश्न हम अपने सभी समाज के लिए छोड़ रहें हैं. 
(आशुतोष पाण्डेय और इनसाईट स्टोरी टीम ) 

मुंबई पुलिस की कहानी

इस देश की पुलिस कारगुजारियों की एक मिशाल देखिये, महाराष्ट्र पुलिस के दाउद के अँगुलियों की छाप मौजूद नहीं हैं, जबकि ये शातिर अपराधी कई बार मुंबई पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है. ये पुलिस की किस छवि को दिखाता है. मिड डे के रिपोर्टर की ह्त्या में दाउद का हाथ होने की खबर के बाद एक बार फिर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां दाउद के रिकार्ड खगालने में जुट गयी हैं. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के महानिदेशक एनके त्रिपाठी के अनुसार दाउद कई बार मुंबई पुलिस की गिरफ्त में रहा है, लेकिन उसके पास दाउद के फिंगर प्रिंट उपलब्ध नहीं हैं. अगर दाउद के फिंगर प्रिंट लिए गए होते तो आज उसके खिलाफ कार्रवाई करने में सहूलियत होती, एन के त्रिपाठी का ये खुलासा चौंका देने वाला तो है ही साथ ही पुलिस की छवि पर भी सवाल उठा रहें हैं. ये एक दाउद का ही मामला नहीं है बल्कि ऐसे हजारों मामले इस देश की पुलिस से जुड़े हैं जहां ये अपराधियों की सहायता करते नजर आते हैं. अब देखना ये है मुंबई पुलिस इस बारे में क्या सफाई पेश करती है, या फिर गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसिया क्या रूख अख्तियार करती हैं?
(आशुतोष पाण्डेय) 

गुरुवार, 16 जून 2011

कांग्रेस मुन्नी से ज्यादा बदनाम

अपने बयानों के कारण अक्सर  विवादों रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कांग्रेस को लादेन की औलाद कहने में भी गुरेज नहीं किया. साथ ही ये भी कह दिया कि कांग्रेस पार्टी मुन्नी से भी ज़्यादा बदनाम हो गई है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जिस तरह सोनिया गांधी के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ संघर्ष की बात तो वे मज़ाक में कहते हैं कि ये ऐसी ही बात है जैसे पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष की बात करता है. कोलकाता में पार्टी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे नितिन गडकरी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मां-बेटे की पार्टी है और बाक़ी सबकी  हैसियत नौकरों वाली है.
कांग्रेस पार्टी ने गडकरी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने को कहा है. पार्टी प्रवक्ता जयंती नटराजन ने कहा कि गडकरी गटर की राजनीति कर रहे हैं. दूसरी ओर नितिन गडकरी के तेवर यहीं ठन्डे नहीं हुए. रामलीला मैदान में हुई कार्रवाई को रावणलीला करार देते हुए उन्होंने कहा कि ये सब सोनिया गांधी के आदेश पर हुआ था. गडकरी ने कहा, "हम इस मामले पर चुप नहीं बैठ सकते. भाजपा सरकार के इस अलोकतांत्रिक क़दम को बर्दाश्त नहीं करेगी." उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की छवि ख़राब हो चुकी है और यह पार्टी अब मुन्नी से भी ज़्यादा बदनाम है.
(इनसाईट स्टोरी टीम)  

ये कट आफ: उफ़


सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय के तमाम प्रयासों के बीच भी छात्रों को कालेज में प्रवेश के लिए कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है, कल दिल्ली के श्रीराम कालेज आफ कामर्स की कट आफ लिस्ट देखकर छात्रों के होश पाख्ता हो गए हैं इस साल जारी पहली कट आफ लिस्ट १०० फीसदी की है, कालेज के इस रवैये की चारों ओर भर्त्सना  हो रही है. कॉलेज की मंगलवार को जारी सूची के अनुसार, जिन छात्रों के पास 12वीं में बिजनेस स्टडीज, गणित, एकाउंटस और अर्थशास्त्र में से कोई विषय नहीं है तो उनके लिए बीकॉम में दाखिले के लिए सौ फीसदी कट ऑफ रखा गया है. साधारणतया इस सूची में विज्ञान के छात्र आते हैं. सिब्बल ने इस के लिए दिल्ली विश्विद्यालय के कुलपति को तो तलब किया ही साथ ही ये भी माना की देश में गुणवत्तापूर्ण कालेजों की कमी के चलते ये स्थिति पैदा हुयी है. इस प्रकार ९७-९८ फीसदी अंक लाने वाले छात्र भी प्रवेश से वंचित रह जायेंगे. सरकार को चाहिए की वह परीक्षा प्रणाली को सरल कर छात्रों को अधिक अंक लाने में सहायता करने के बजाय वास्तव में बुद्धिमान छात्रों को प्रोत्साहित करे. लेकिन सरकार केवल परीक्षा प्रणाली को सरल कर छात्रों को आकर्षित तो कर ले रही है लेकिन  इस तैयार भीड़ को खान समायोजित किया जाय इसके लिए कोई कदम उठा ही नहीं रही है. जब हमने छात्रों से इस बारे में बात की तो उनका कहना था की सब १०० प्रतिशत तो हो नहीं सकते हैं. अभी हाल के महीनों महीनों में रीलिज फिल्म फ़ालतू में विषय को काफी गहराई से दिखाया गया है. 
(इनसाईट स्टोरी कैम्पस टीम )

काग्रेस को राहत: रिलायंस की माफी

पी. चिदम्बरम 
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (आरआईएल) ने अपने कर्मचारी के.आर. राजा की अपमानजनक टिप्पणी के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम से माफ़ी मांगी है. दरअसल आरआईएल के एक कर्मचारी ने पी चिदंबरम के बारे में कहा था कि उन्हें भी 2-जी स्पैक्ट्रम घोटाले में लाभ मिला है. इस पर गृह मंत्री ने क़ानूनी नोटिस भेज दिया था. इस नोटिस के जवाब में आरआईएल के ग्रुप प्रेसिडेंट वी बाला सुब्रमण्यम ने कहा है कि लॉबिस्ट नीरा राडिया के साथ बातचीत में उनके एक कर्मचारी केआर राजा ने गृह मंत्री के ख़िलाफ़ अपमानजनक और अनुचित टिप्पणी की थी. सुब्रमण्यम ने गृह मंत्री पी चिदंबरम के वकील को पत्र लिखकर कहा है कि राजा को उनके आधारहीन और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान के काफ़ी फटकार लगाई गई है. उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए माफ़ी मांगती है. केआर राजा ने भी चिदंबरम के वकील को अलग से पत्र लिखकर माफ़ी मांगी है. इस पत्र में उन्होंने कहा है कि नीरा राडिया के साथ बातचीत में उन्होंने बिना किसी आधार के चिदंबरम पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, इसलिए वे इस मामले पर माफ़ी मांगते हैं.दरअसल के.आर राजा और नीरा राडिया के बीच हुई बातचीत मीडिया में लीक हो गई थी. जिसके बाद चिदंबरम के वकीलों ने राजा को क़ानूनी नोटिस देते हुए माफ़ी मांगने को कहा था. इन मीडिया रिपोर्टों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 2-जी घोटाले में फ़ायदा उठाने का आरोप लगाते हुए चिदंबरम से त्यागपत्र की भी मांग की थी. इसके बाद शायद कांग्रेस ने राहत की सांसे ली होंगी क्योंकि २ जी घोटाले को लेकर सरकार और पार्टी पहले से ही कटघरे में खडी थी. 
(आशुतोष पाण्डेय)

शनिवार, 11 जून 2011

इनसाईट स्टोरी का सच

फ़ाइल फोटो: रामदेव-अन्ना हजारे 
आखिरकार इनसाईट स्टोरी की मुहिम जो ये साबित करना चाह रही थी की रामदेव का आन्दोलन मात्र एक शिगूफा है, आज अन्ना हजारे ने भी इस पर मुहर लगा दी, टाइम्स आफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा की रामदेव योग गुरु हैं और वो ही बने रहें, किसी बड़े आन्दोलन को लीड करने की हिम्मत उनमें नहीं है, सामाजिक कार्यों के लिए कई अनुभवों की जरूरत होती है जो अभी उनके पास नहीं हैं. 
यह पूछने पर कि उन्होंने बाबा के आंदोलन से दूरी क्यों बना ली है, अन्ना ने कहा कि अपने आंदोलन में हम सभी के विचारों को सुनते हैं, चर्चा करते हैं और उसके बाद मिलकर कोई फैसला लेते हैं, लेकिन बाबा इस तरह नहीं सोचते। वह अकेले ही सारे फैसले लेते हैं। यही कारण है कि कई बार अपनी बातों ने उन्होंने अनजाने में ही सरकार को ही फायदा पहुंचाया है। उन्होंने कहा की रामदेव की लड़ाई भी भ्रष्टाचार को लेकर है लेकिन तरीका ठीक नहीं है, यही बात इससे पहले कई कांग्रेसी नेता और समीक्षक भी कह चुके हैं. ये बात सही है की रामदेव की इस कार्रवाई से अन्ना की लड़ाई को काफी नुकसान पहुचा है. यही बात हम लगातार अपने आलेखों में कहते रहें हैं. 
(आशुतोष पाण्डेय)

एक नया विवाद और कांग्रेस

रामदेव से ट्रस्ट का हिसाब किताब मागने वाली कांग्रेस अब खुद एक विवाद में फंस गयी है, ताजा ख़बरों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री की चंडीगढ़ की संपत्ति की कीमत आधी से भी कम आंकी गयी है, आज जब प्रधानमंत्री की सम्पत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया गया तो उस पर ये नया विवाद खडा हो गया और प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर सफाई भी पेश कर डाली की ये चार साल पुरानी कीमत बताई गयी है, लेकिन ये बात हजम नहीं हो रही है की जिस ब्योरे को आज जारी किया गया है उसमें चार साल पुरानी कीमत बताने का औचित्य क्या है? मनमोहन सिंह के पास चंडीगढ़ में एक घर है, जिसकी कीमत को लेकर ये नया विवाद खड़ा हुआ है, वैसे ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बदनाम इस सरकार की मुसीबत बढ़ने को ये काफी है, अब चाहे प्रधानमंत्री कार्यालय कोई भी सफाई दे लेकिन जवाबदेही तो सरकार और खुद प्रधानमत्री की भी बंटी है, क्योंकि ये मामला खुद उनकी अपनी संपत्ति को लेकर है. देखना ये है की अब सरकार और प्रधानमंत्री का क्या रूख होता है?
(आशुतोष  पाण्डेय

टूटेगा रामदेव का अनशन!

अब जल्द ही रामदेव के अनशन छोड़ने के आसार नजर आ रहे हैं, कल १० जून को एकाएक तबियत खराब हो जाने के कारण उन्हें उत्तराखंड सरकार की सहमति से प्रशासन ने अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था झा लीवर में संक्रमण हो जाने के कारण उन्हें आई सी यू में रखना पडा था, आज पुन: श्री श्री रविशंकर रामदेव से मुलाक़ात करने पहुचे हैं, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एक केन्द्रीय मंत्री के विशेष आग्रह पर रविशंकर ये पहल कर रहे हैं. इससे पहले भी रविशंकर उनसे अनशन तोड़ने की अपील कर चुके हैं. लेकिन एक बड़ा वर्ग इसे रामदेव की हार ही मान रहा है... उनके समर्थक इस बात से व्यथित हैं की उत्तराखंड सरकार उन्हें जबरन उठा कर ले गयी, और अनशन तुडवाने की नियत से अस्पताल में ले जाया गया, उनके समर्थक कई जगह इसके लिए प्रदर्शन भी कर चुके हैं और कई सड़कों पर जाम भी लगाएं हैं. अगर रामदेव अपना अनशन बेनतीजा ख़त्म करतें हैं तो उनके समर्थकों के बीच एक नकारात्मक सन्देश जाएगा. लेकिन उत्तराखंड की सरकार भी ये नहीं चाहती है की कोई बबंडर यहाँ खडा हो. इसलिए भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता जो रामलीला मैदान में उनके अनशन को समर्थन दे रहे थे अब उनसे अनशन छोड़ने की अपील कर रहें हैं. 
(देहरादून इनसाईट स्टोरी टीम अपडेट)

सोनिया राहुल की वेब साईट हैक


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र की वेबसाइट्स को हैकर्स ने अपना निशाना बनाया है. रायबरेली व बरेली की वेबसाइट्स से कई दस्तावेज चुराए जाने की आशंका है. अभी तक किसी प्रकार के दस्तावेज चोरी होने या अन्य किसी प्रकार की कोई खबर नहीं आयी है. अभी इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल जुट गई है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अमेठी और सोनिया गांधी रायबरेली के लोगों से सीधे संपर्क बनाए रखने के लिए इन वेबसाइट्स का उपयोग करते थे. इसमें क्षेत्र के लिए योजनाओं और विकास कार्यों के बारे में पूरी जानकारियां थीं. पुलिस ने मामले को गंभीर और गोपनीय मानते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है. मामले में अदालत में एफ आई आर एक बंद लिफाफे में पेश की गई. फिलहाल पुलिस सूत्रों के अनुसार इतना ही खुलासा हो पाया है कि से वेबसाइट्स डोमेन से हैक की गई हैं. 
(इनसाईट स्टोरी टीम नई दिल्ली)   

बी.पी.एल पेंशन के लिए उम्र ६५ से ६० की

नई दिल्ली. सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) रह रहे बुजुर्गो के लिए पेंशन की आयु सीमा 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दी है। इससे बीपीएल श्रेणी के 60 से 64 वर्ष की आयु वाले 72.32 लाख लोग लाभान्वित होंगे। ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्ध पेंशन योजना’ के तहत लाभान्वितों की आयु सीमा कम करने का यह निर्णय केंद्रीय कैबिनेट ने लिया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 80 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले वृद्धों को प्राप्त होने वाली पेंशन की दर में भी बढ़ोतरी करने को मंजूरी दी गई है। अब 80 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले बुजुर्गो को 500 रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। पहले तक यह दर 200 रुपए मासिक थी। इस फैसले से इस आयुवर्ग वाले 26.49 लाख लोग लाभान्वित होंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि यह परिवर्तन इस साल 1 अप्रैल से लागू होंगे। 2,770 करोड़ अतिरिक्त खर्च : बीपीएल श्रेणी के 169 लाख लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं जिन्हें पेंशन का लाभ मिल रहा है। 60 से 64 वर्ष तक की आयु वाले लोगों को वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत प्रतिमाह 200 रुपए पेंशन देने से सरकार पर 1,736 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। 80 वर्ष से अधिक आयु वालों को 500 रुपए पेंशन से सरकारी खजाने से 953 करोड़ खर्च होंगे। इस तरह संशोधित योजना से सरकार पर 2,770 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। 
(इनसाईट स्टोरी के लिए, सुषमा पाण्डेय) 

रामदेव विवाद: कांग्रेस दोफाड़

बाबा  रामदेव के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार के बीच पहले दिन से ही दोफाड़ की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस के मुखपत्र ‘कांग्रेस संदेश’ के ताजे अंक में सरकार के उन चार मंत्रियों की तीखी आलोचना छपी है, जो बाबा रामदेव से मिलने एयरपोर्ट गए थे। इस पत्रिका को वितरण केन्द्रों से ही वापस मगा लिया गया है. संदेश के संपादकीय में चार मंत्रियों के  हवाई अड्डे पर जाने के सवाल पर प्रश्नचिंह लगाया गया है. संपादकीय में कहा गया कि हालांकि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सिविल सोसायटी की मांगों पर सहानुभूति से विचार करे लेकिन चुनी हुई सरकार की पूरी मर्यादा रखी जाना चाहिए और सरकार के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। पत्रिका के संपादक अनिल शास्त्री हैं। जैसे ही यह मामला वरिष्ठ नेताओं की जानकारी में आया, इसका वितरण रोक दिया गया है। नेताओं ने संपादक अनिल शास्त्री के साथ बैठक भी की, लेकिन उसमें कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। अनिल शास्त्री भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के बेटे हैं। हालांकि बाबा रामदेव के मुद्दे पर पार्टी नेता दिग्विजय सिंह शुरु से ही रामदेव विरोधी लाइन पर चल रहे हैं, लेकिन सरकार ने उन्हें अनशन न करने से मनाने की पूरी कोशिश की। चार मंत्री एयरपोर्ट पर गए और उनसे बातचीत की। हाल ही में दिग्विजय सिंह ने फिर एयरपोर्ट गए सभी मंत्रियों पर अंगुली उठाई थी. यह संभवतः पहली बार है कि करीब एक दशक से प्रकाशित हो रही इस पत्रिका में छपे लेख या संपादकीय के कारण विवाद हुआ है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को न तो मंत्रियों के एयरपोर्ट पर जाकर बाबा रामदेव से मिलने की जानकारी थी और न ही रामलीला मैदान पर हुई पुलिसिया कार्रवाई पर उन्हें विश्वास में लिया गया। वे इस मुद्दे पर मंत्रियों के साथ हुई बैठक में अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुकी हैं। 
(इनसाईट स्टोरी नई दिल्ली) 

रामदेव की हालत सुधरी

भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे योग गुरु की सेहत में अब पहले के मुकाबले सुधार है। उन्हें कल यहां अस्पताल में सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया था, लेकिन अब वह गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) से बाहर हैं. हिमालयन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने बाबा रामदेव के आईसीयू से बाहर किए जाने की जानकारी दी. बाबा को ग्लूकोज चढ़ाया गया, जिसके बाद उनकी हालत में सुधार आया. रामदेव अब बातचीत भी कर रहे हैं. इससे पहले जेठानी ने कहा कि रामदेव के यकृत में थोड़ी गड़बड़ी आई थी लेकिन गुर्दा सामान्य रूप से काम कर रहा है. वह होश में हैं. उनका रक्तचाप 110:78 है और नाड़ी की गति 60 है. उन्होंने कहा कि वह बात कर रहे हैं और कोई दिक्कत नहीं है. उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जीएस मार्तोलिया ने कहा कि 46 वर्षीय योग गुरु को अस्पताल लाने के तुरंत बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सकों की दो टीम ने उनका परीक्षण किया. चिकित्सकों ने बताया कि रामदेव को नस के जरिये ग्लूकोज और सामान्य सलाइन दिया जा रहा है जिसके बाद उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है.
(इनसाईट स्टोरी टीम हरिद्वार) 

शुक्रवार, 10 जून 2011

बाबा की हालत बिगड़ी, आईसीयू में भर्ती

काले धन के मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को शुक्रवार को स्थिति बिगड़ने पर हरिद्वार से करीब 25 किलोमीटर दूर जालीग्रांट स्थित हिमालयन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डाक्टरों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की गहन जांच पड़ताल की। हिमालयन अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाo दीपक गोयल ने बताया कि सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती रामदेव के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है और उनकी कई प्रकार की जांच कराई गई है। हालांकि उनका स्वास्थ्य सामान्य है लेकिन ऐसे मामलों में जब तक पूरी जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रामदेव के शरीर में पानी की कमी देखते हुए उन्हें ग्लूकोज चढ़ाया गया है। इसके पूर्व रामदेव के यहां पहुंचते ही डाक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। हिमालय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एसएल जेठानी ने बताया कि रामदेव के अस्पताल पहुंचते ही उनका इलाज शुरू कर दिया गया। उन्होंने रामदेव की स्थिति के बारे में तुरंत कोई टिप्पणी करने से इन्कार किया और कहा कि इलाज के बाद ही रामदेव के स्वास्थ्य के बारे में कोई टिप्पणी की जा सकती है।रामदेव को हरिद्वार योगपीठ में अनशन स्थल से कड़ी सुरक्षा के बीच अस्पताल लाया गया। हिमालयन अस्पताल की ओर से शाम को जारी मेडिकल बुलेटिन में कहा गया कि रामदेव के स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो रहा है। वह पूरी तरह होश में हैं। उनके गुर्दे ठीक तरह से काम कर रहे हैं लेकिन यकृत में कुछ समस्याएं हैं।बुलेटिन में कहा गया कि रामदेव की विभिन्न तरह की स्वास्थ्य जांच की गई हैं। उनके स्वास्थ्य पर पूरी नजर रखी जा रही है, वहीं दुसरी और रामदेव के समर्थकों में सरकार को लेकर रोष बढ़ता ही जा रहा है.  
(इनसाईट  स्टोरी टीम देहरादून )   

सोमवार, 6 जून 2011

ये आन्दोलन सेलिब्रिटी के साथ

आज देश भारी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, जहां केंद्र और राज्य सरकारें घोटालों में लिप्त हैं और देश का बुद्धिजीवी वर्ग आन्दोलनों में व्यस्त है, भ्रष्टाचार का भूत देश की गर्दन पर सवार है, पंचायत से लेकर संसद और प्रधानमंत्री तक सभी की कहीं ना कहीं मौन स्वीकृति है इस सब को. केंद्र सरकार इस दुनिया की सबसे भ्रष्ट सरकार है, लेकिन जनता है की मानती ही नहीं, कलमाडी, ए. राजा को जेल जाना पड़ा है. लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री को तो भा ज पा हाईकमान तमाम सबूतों के बाद भी दोषी नहीं मान रहा है, अब बात ब.स.पा. की खुद मायावती के खिलाफ दर्जनों भ्रष्टाचार के आरोप हैं, पश्चिमी बंगाल की सरकार जिसे तीन दशकों से जनता का वरदहस्त था, यू. पी.ए. समर्थित और केंद्र सरकार में रेलवे मंत्री ममता बनर्जी के सामने ढह गयी. अब फिर रामदेव ने काले धन को लेकर सरकार पर हल्ला बोला तो जनता फिर उद्वेलित हुयी, लाखों लोग सारे देश में रामदेव के साथ आये, लेकिन रामदेव तो अनशन में बैठने से पहले ही सरकार से एक डील कर चुके थे, भले ही बाद में वो कहें की ये सब जबरदस्ती लिखवाया था, जब आप के साथ जबरदस्ती हुयी तो आपने जनता के पास आ इसका खुलासा क्यों नही किया? लेकिन वे इसका जवाब क्यों दें क्योंकि ये सवाल कोई पूछे तब ना, इस देश में तमाशाई बहुतेरे हैं, किसी भी जलसे या रैली में लाखों की भीड़ यूं ही इकठ्ठी हो जाती है, और इसमें अधिकतर चेहरे तो हर जगह पाए जातें हैं, रामदेव ने भी बुलाया लोग चले आये, सब मानते हैं की आन्दोलन हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, लेकिन क्या ये सब लोग तब भी जातें हैं जब इनके बगल में भ्रष्टाचार होता है, किसी की इज्जत लुटी जाती है, इस देश की जनता को आन्दोलन करने के लिए सेलिब्रेटी चाहिए, चाहे वो राहुल गाँधी हों, अन्ना हों, रामदेव या फिर कोई और कुछ ख़ास असर नहीं बस आन्दोलन होना चाहिए, चाहे वो दिल्ली का रामलीला मैदान में हो या फिर किसी नेशनल हाईवे को जाम कर किया जाये, अब बात करें अपनी दिल्ली की ये दिल्ली भी ना, सब यही होगा कामनवेल्थ से लेकर धरना तक, और आज कल दिल्ली में एक नया समाज बना है फेसबुकिया समाज, अरे भाई इस समाज के पास विचारों का भण्डार है.. और अपना रूतबा दिखने का शौक भी, बस शुरू हो जाता है ये समाज अपने विचार गढ़ने, हर मुद्दे पर पर अपनी वेबाक राय देने के लिए तो अब ये विख्यात हो गया है, ये फेसबुकिये भी ना किसी भी सेलिब्रिटी के साथ खुद का नाम जोड़ने के लिए बेताब है पहले अन्ना के साथ फोटो अपलोड किये, अब नया बुखार रामदेव का चढ़ गया, ४-५ जून को सरकार ने रामदेव को हटाने के लिए जो किया उसे जलियावाला कह डाला सबने. सरकार ने जो किया वह तो अशोभनीय है और रहेगा भी, लेकिन यदि रामदेव ने सरकार के द्वारा किये गये धोखे को जनता के सामने रख दिया होता तो शायद ये हालात नहीं आते और सरकार की अच्छी फजीहत भी होती, खेल तो रामदेव ने भी खेला. बस जनता अभी समझी नहीं है, सत्याग्रह के लिए आर.एस.एस का साथ, क्या गांधी के देश में ये होना चाहिए था? हाँ गाँधी को मरे तो साल हो गए वो कौन सा सेलिब्रेटी हैं, जो जनता रामदेव से ये पूछती. जिस झूठ को छिपा रामदेव सत्याग्रह के लिए आये वो झूठ तो किसी को दिखता ही नहीं, क्या ये भ्रष्ट आचरण नहीं था? ए राजा और कलमाडी को तो जेल भेजा गया और रामदेव को चार्टर्ड विमान से उनके आश्रम में छोड़ा गया. ये सरकार केंद्र वाली वास्तव में भ्रष्ट है, तभी तो भ्रष्ट काम के लिए किसी को जेल तो किसी को बाकायदा विमान की सेवा.
देश में अस्थिरता ना हो इसके लिए सरकार के चार-चार मंत्री रामदेव के पास गए, रामदेव ने कहा भी की उनकी मांगें मान ली गयी हैं बस इस बात से भा ज पा नाराज हो गयी होगी और रामदेव को सरकार के साथ किया करार तोड़ना पड़ा. ये भ्रष्ट सरकार है जो हर बेईमान के साथ करार कर लेती है. कामन वेल्थ घोटाला देखो कितने बेईमानों को ठेका दिया. अब सरकार को चाहिए की एक सेंसर तैयार करवाए जो बेमानों को देखते ही बोलने लगे मेटल डिटेक्टर की तरह करप्सन डिटेक्टर, हमारे आई आई टी के छात्रों से लेकिन वहां भी समस्या, जयराम का कहना है की वो विश्वस्तरीय नहीं हैं. अब ऐसा करते हैं जहां सब एक मत हैं किसी को कोई परेशानी नहीं वहा की बात करें अरे कुछ दिन पहले मुन्नी बदनाम हुयी और कई अवार्ड ले गयी, अब सरकार बदनाम हो रही है, शीला भी तो जवान हुयी थी, वो भी हिट थी अब भ्रष्टाचार जवान है तो... हल्ला मच गया. चलिए सब हो गया अब देश की सोचतें हैं, ये देश हमारा है, ये ना रामदेव से सुधरेगा ना इस सरकार से बिगड़ेगा, इसे सुधारना और बिगाड़ना हमारे हाथों में है, कुछ करो इस देश के लिए, फेसबुक पर पोस्ट कर सेलिब्रिटी बनाना बंद करो.
(आशुतोष पाण्डेय)

शनिवार, 4 जून 2011

एक नया शगूफा है रामदेव का अनशन

भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार .... ये इस देश की नियति बन गया लगता है... सब इसकी अंगीठी पर अपने हाथ सेक रहें हैं, कोई लोकपाल की मांग करता है तो दूसरा ये पूछ लेता है की क्या गारंटी है की लोकपाल ईमानदार ही होगा? कोई काले धन को लेकर आंदोलित है. ख़ास बात है की ये सब जनता का साथ मांग रहें हैं. अन्ना हजारे के अनशन के बाद लोकपाल पर एक समिति का गठन तो कर दिया गया लेकिन गठन के समय से ही ये एक विवाद का कारण बन गयी थी, पहले भूषण परिवार को लेकर फिर प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को इस के प्रभाव से बाहर रखने के कारण खासा विवाद है, सरकार और अन्ना के समर्थकों के बीच एक मल्ल युद्ध जारी है, जून को इसका जिन्न बाहर आने वाला है, खैर आज का बड़ा मुद्दा किसी समय योग गुरु रहे रामदेव बाबा का आज जून से शुरू होने वाला अनशन है, रामदेव की मांगें तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़ी मांग में शामिल है, विदेशी बैंकों में रखा काला धन की वापसी. सरकार के मंत्री तो बाकायदा एयर पोर्ट पर भी रामदेव की वन्दना कर चुकें हैं, पर रामदेव हैं की मान ही नहीं रहें हैं, अब एक करोड़ लोगों के साथ अनशन में बैठने की चेतावनी दें, उन्होंने सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. अब एक नया मोड़ देखें कल केन्द्रीय मंत्रियों के साथ हुयी एक बैठक का हवाला  देते हुए रामदेव ने कहा था "काफी मुद्दों पर सहमति हो गयी है है, सरकार काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने पर राजी तो हो गयी है, लेकिन ऐसा कोई विधेयक लाने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है". रामदेव जी ये क्या आपका ये बयान आपके समझ में आया, सरकार क्या करेगी क्या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन एक सवाल ये काला धन कहाँ है, कितना है, इस पर भी आप के पास सिवाय कयास के कुछ नहीं है, और क्या ये इतना आसान होगा, जिन देशों के बैंकों में ये पैसा है क्या वो इसे आसानी से वापस कर देंगे? और क्या अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों में ये प्राविधान हैं? क्या दुनिया भर के पैसों को जमा करने वाले इसकी जानकारियाँ देकर अपनी साख गिरायेंगें ऐसा तो लगता नहीं हैं. हाँ सरकार इसके लिए प्रयास भर जरुर कर सकती है और करने भी चाहिए. दरअसल अगर सच कहा जाए, आम आदमी भी इस मुहिम में मात्र साथ भर देने को जुड़ा है. इस देश में कितने लोग हैं जो अपना असल टैक्स जमा करतें हैं, कितने हैं जो सरकारी सुविधाओं की धज्जियां नहीं उडातें हैं, कितने प्रतिशत लोग हैं जो अपराधियों को वोट नहीं देतें है, आज अगर ख़ास लोगों पर शिकंजा कसेगा तो उनका कानूनी पलटवार आम जनता पर ही होगा... फिर तो सब भ्रष्टाचारियों को सजा मिले जो ख़ास है आम हैं, जो संसद के चुने नुमायंदे हैं या फर्जी बी पी एल कार्ड बनवाने वाले तथाकथित गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोग, मान लिया राजनेता अनैतिक हैं, तो जनता उन्हें वोट क्यों दे रही है? तमिलनाडु में जयललिता के दामन पर तमाम दाग रहें हैं, पश्चिमी बंगाल में  ममता की ताजपोशी जो की अब तक की दुनिया की सबसे भ्रष्ट सरकार का हिस्सा है,को बहुमत क्या है? क्या रामदेव या अन्ना जनता की इस मंशा को नहीं जानतें हैं, इतने बड़े आन्दोलन खड़े करने की कुव्वत रखने वाले ये समाजसेवी (इस शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं? ) इतने मासूम तो नहीं हैं? पहले उन एक करोड़ की गारंटी दो बाबा जो आपके साथ अनशन में बैठे हैं, की वे सब ईमानदार हैं. अब भी कुछ बुद्धिजीवी अपनी फोटो खिचवाने जरुर जायेंगें, फिर अखबारों की कटिंग, टी वी बाइट्स सब का रिकार्ड रखेंगें. कुछ अन्ना के साथ चमके, कुछ बाबा के साथ भी चमक जायेंगें.... कुछ तो दो तीन दिन पहले से ही सुपर रिन की चमकार से सराबोर हैं,  लेकिन ये मुआ भ्रष्टाचार बढ़ता ही जाएगा जब तक इस देश का आम आदमी ना सुधर जाए और वो ना सुधरने वाला. अगर वास्तव में इस देश से भ्रष्टाचार मिटाना है तो एक क़ानून बने की है व्यक्ति प्रतिदिन देश के लिए एक घंटे से तीन घंटा अनिवार्य शारिरीक, मानसिक योगदान करे इसमें आम से लेकर प्रधानमंत्री तक को शामिल किया जाय, हर व्यक्ति को आर्मी में सेवा करना अनिवार्य कर दिया जाय कितने समाज सेवी इसके लिए तैयार हैं? ये सवाल है उन लोगों से जो देश को अनशन, धरनों, जलूसों से अस्थिर कर रहें हैं. इतनी देर देश के विकास के लिए काम करो फिर देखो ६ माह में इस देश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जायेगी.

(आशुतोष पाण्डेय)