शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

दुखद: एक युग का अंत

उत्तराखंड के शहर हल्द्वानी से एक दुखद समाचार प्राप्त हुआ है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अंबा दत्त ढौंडियाल का गुरुवार को हल्द्वानी में देहावसान हो गया. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अंबा दत्त ढौंडियाल का जन्म छह दिसंबर 1924 को आंवलाकोट गांव स्थित कोटाबाग में हुआ था. महात्मा गांधी की प्रेरणा से ही 14 वर्ष की अवस्था में ही भारत छोड़ो आंदोलन व सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा. स्वर्गीय ढौंडियाल पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ बरेली जेल में आठ माह तक रहे. पंडित गोविन्द बल्लभ पंत के साथ भी 11 माह तक अल्मोड़ा जेल में रहे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था. उत्तर प्रदेश राज्यपाल ने भी उन्हें सम्मानित किया था. उन्हें जिला पंचायत सदस्य मनोनीत किया गया था. वे ग्राम सभा आंवलाकोट के 15 वर्ष तक ग्राम प्रधान रहे. राजकीय सम्मान के साथ रानीबाग के चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले इस जाबांज सिपाही की कमी तो पूरी नहीं हो सकती है, लेकिन एक सीख हमें जरूर मिलती है कि जिस देश को आजाद करने में इन लोगों ने अपना तन, मन और धन सब लुटा दिया उसे बनाए रखें.
(इनसाईट स्टोरी) 
हल्द्वानी 

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