रविवार, 21 अगस्त 2011

आरएसएस इस गांधी को भी बर्बाद कर देगा

जनलोकपाल को लेकर अनशन में बैठे अन्ना हजारे ने आज प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वो घूसखोरों के दवाब में हैं, इसलिए जनलोकपाल विधेयक लाने में डर रहें हैं, अन्ना की ये टिप्पणी काफी आश्चर्यचकित करने वाली है, शायद अपने पीछे आये जन सैलाब को अन्ना अपना राजशाही का तमगा समझ रहें हैं, इसलिए कुछ भी बोल रहें हैं. प्रधानमंत्री के ऊपर लगातार अशोभनीय टिप्पणी कर अन्ना नेताओं वाला खेल ही खेल रहें हैं. इस देश में जो चाहे प्रधानमत्री बन जाए ये नहीं होता है, यहाँ जनता अपनी सरकार चुनती है. क्या अन्ना के साथ जुड़े सभी लोग दूध के धुले हैं, जो पार्टियाँ या दल आज अन्ना की जय कर रहें हैं क्या वो सब पवित्र हैं? क्या अन्ना इस देश की संसद से भी ऊपर हो गए हैं. न संसद की गरिमा कि चिंता, न न्यायपालिका की स्वतंत्रता की चिंता पता नहीं अन्ना सद्दाम बनना चाह रहें हैं या फिर हिटलर, कि इस देश को सिर्फ लोकपाल चलाएगा. अन्ना को अनशन करना है करें लेकिन जनता को गुमराह ना करें, जैसे रामदेव ने कालेधन को लेकर हल्ला किया और जब खुद काले धन को विदेश भेजने के आरोप लगे तो फिर योग शिविर शुरू कर दिए. किरन बेदी ने कहा है अन्ना अनशन नहीं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे. मतलब जब तक मन आये बैठे फिर उठ लिए. इस आड़ में ये लोग देश को कमजोर कर रहें हैं, सारा देश और सरकार इसमें उलझेगी और विदेशी ताकतें इसका फायदा उठाएंगी. अगर ऐसे हालातों को रोकने के लिए सिर्फ आपातकाल ही अंतिम चारा बचता है तो सरकार क्या करे? लेकिन लोकतंत्र में जो भी हो उसकी सीमाओं में हो उसके उल्लंघन पर सजा हो. सरकार क्यूं तब्बजो दे रही है अन्ना और रामदेव को समझ नहीं आ रहा है, लोकसभा भंग करे और चुनाव करवा ले. सारा सच सामने आ जाएगा. जब इंदिरा ने आपातकाल लगाया था तो क्या कहा जा रहा था कि अब इंदिरा सिर्फ जेल में रहेगी, लेकिन फिर इंदिरा सत्ता में आयीं और लोकतंत्र के इतिहास में दुनिया की सबसे चर्चित और ताकतवर प्रधानमंत्रियों में गिनी जाती हैं. इसलिए अन्ना ब्लैकमेलिंग छोड़ जनता की अदालत में आयें और अन्ना टीम को चुनाव में खड़ा कर दें दो ढोल की पोल खुल जायेगी, आज आर एस एस के संरक्षण में बैठे अन्ना की टीम चुनाव के मैदान में आयेगी तो आरएसएस इस गांधी को भी बर्बाद कर देगा.
(आशुतोष पाण्डेय) 

5 टिप्‍पणियां:

Gyan Darpan ने कहा…

कांग्रेसी प्रलाप

Bharat Bhushan ने कहा…

आपसे सहमत हूँ. क्या एनजीओ संविधान और सरकार को ताक पर रख सकते हैं, इसका एक्सपेरीमेंट चल है.

Unknown ने कहा…

रतन जी जो सच कह दे वो कांग्रेसी कैसे हो जाता है?

बेनामी ने कहा…

प्रिय लेखक महोदय ये लेख आपकी आर एस एस के प्रति संकीर्ण मानसिकता का घोतक है. मेरी आप से गुजारिश है पहले आप आर एस एस को समझे फिर टिपणी करे.

drsunilarya ने कहा…

डॉ संजीव मिश्र के ब्लॉग पर टिप्पणियों में आपका लिंक था ,ये सोच कर क्लिक किया था शायद कुछ वस्तुपरक होगा ...पर घोर निराशा हुई ,,,बेहद सतही और चलताऊ आकलन ..! कृपया लिखने से पहले थोडा अध्ययन जरुर किया करें .......आर एस एस को गलियाने से सिकुलर नही बना जाता !