सोमवार, 6 जून 2011

ये आन्दोलन सेलिब्रिटी के साथ

आज देश भारी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, जहां केंद्र और राज्य सरकारें घोटालों में लिप्त हैं और देश का बुद्धिजीवी वर्ग आन्दोलनों में व्यस्त है, भ्रष्टाचार का भूत देश की गर्दन पर सवार है, पंचायत से लेकर संसद और प्रधानमंत्री तक सभी की कहीं ना कहीं मौन स्वीकृति है इस सब को. केंद्र सरकार इस दुनिया की सबसे भ्रष्ट सरकार है, लेकिन जनता है की मानती ही नहीं, कलमाडी, ए. राजा को जेल जाना पड़ा है. लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री को तो भा ज पा हाईकमान तमाम सबूतों के बाद भी दोषी नहीं मान रहा है, अब बात ब.स.पा. की खुद मायावती के खिलाफ दर्जनों भ्रष्टाचार के आरोप हैं, पश्चिमी बंगाल की सरकार जिसे तीन दशकों से जनता का वरदहस्त था, यू. पी.ए. समर्थित और केंद्र सरकार में रेलवे मंत्री ममता बनर्जी के सामने ढह गयी. अब फिर रामदेव ने काले धन को लेकर सरकार पर हल्ला बोला तो जनता फिर उद्वेलित हुयी, लाखों लोग सारे देश में रामदेव के साथ आये, लेकिन रामदेव तो अनशन में बैठने से पहले ही सरकार से एक डील कर चुके थे, भले ही बाद में वो कहें की ये सब जबरदस्ती लिखवाया था, जब आप के साथ जबरदस्ती हुयी तो आपने जनता के पास आ इसका खुलासा क्यों नही किया? लेकिन वे इसका जवाब क्यों दें क्योंकि ये सवाल कोई पूछे तब ना, इस देश में तमाशाई बहुतेरे हैं, किसी भी जलसे या रैली में लाखों की भीड़ यूं ही इकठ्ठी हो जाती है, और इसमें अधिकतर चेहरे तो हर जगह पाए जातें हैं, रामदेव ने भी बुलाया लोग चले आये, सब मानते हैं की आन्दोलन हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, लेकिन क्या ये सब लोग तब भी जातें हैं जब इनके बगल में भ्रष्टाचार होता है, किसी की इज्जत लुटी जाती है, इस देश की जनता को आन्दोलन करने के लिए सेलिब्रेटी चाहिए, चाहे वो राहुल गाँधी हों, अन्ना हों, रामदेव या फिर कोई और कुछ ख़ास असर नहीं बस आन्दोलन होना चाहिए, चाहे वो दिल्ली का रामलीला मैदान में हो या फिर किसी नेशनल हाईवे को जाम कर किया जाये, अब बात करें अपनी दिल्ली की ये दिल्ली भी ना, सब यही होगा कामनवेल्थ से लेकर धरना तक, और आज कल दिल्ली में एक नया समाज बना है फेसबुकिया समाज, अरे भाई इस समाज के पास विचारों का भण्डार है.. और अपना रूतबा दिखने का शौक भी, बस शुरू हो जाता है ये समाज अपने विचार गढ़ने, हर मुद्दे पर पर अपनी वेबाक राय देने के लिए तो अब ये विख्यात हो गया है, ये फेसबुकिये भी ना किसी भी सेलिब्रिटी के साथ खुद का नाम जोड़ने के लिए बेताब है पहले अन्ना के साथ फोटो अपलोड किये, अब नया बुखार रामदेव का चढ़ गया, ४-५ जून को सरकार ने रामदेव को हटाने के लिए जो किया उसे जलियावाला कह डाला सबने. सरकार ने जो किया वह तो अशोभनीय है और रहेगा भी, लेकिन यदि रामदेव ने सरकार के द्वारा किये गये धोखे को जनता के सामने रख दिया होता तो शायद ये हालात नहीं आते और सरकार की अच्छी फजीहत भी होती, खेल तो रामदेव ने भी खेला. बस जनता अभी समझी नहीं है, सत्याग्रह के लिए आर.एस.एस का साथ, क्या गांधी के देश में ये होना चाहिए था? हाँ गाँधी को मरे तो साल हो गए वो कौन सा सेलिब्रेटी हैं, जो जनता रामदेव से ये पूछती. जिस झूठ को छिपा रामदेव सत्याग्रह के लिए आये वो झूठ तो किसी को दिखता ही नहीं, क्या ये भ्रष्ट आचरण नहीं था? ए राजा और कलमाडी को तो जेल भेजा गया और रामदेव को चार्टर्ड विमान से उनके आश्रम में छोड़ा गया. ये सरकार केंद्र वाली वास्तव में भ्रष्ट है, तभी तो भ्रष्ट काम के लिए किसी को जेल तो किसी को बाकायदा विमान की सेवा.
देश में अस्थिरता ना हो इसके लिए सरकार के चार-चार मंत्री रामदेव के पास गए, रामदेव ने कहा भी की उनकी मांगें मान ली गयी हैं बस इस बात से भा ज पा नाराज हो गयी होगी और रामदेव को सरकार के साथ किया करार तोड़ना पड़ा. ये भ्रष्ट सरकार है जो हर बेईमान के साथ करार कर लेती है. कामन वेल्थ घोटाला देखो कितने बेईमानों को ठेका दिया. अब सरकार को चाहिए की एक सेंसर तैयार करवाए जो बेमानों को देखते ही बोलने लगे मेटल डिटेक्टर की तरह करप्सन डिटेक्टर, हमारे आई आई टी के छात्रों से लेकिन वहां भी समस्या, जयराम का कहना है की वो विश्वस्तरीय नहीं हैं. अब ऐसा करते हैं जहां सब एक मत हैं किसी को कोई परेशानी नहीं वहा की बात करें अरे कुछ दिन पहले मुन्नी बदनाम हुयी और कई अवार्ड ले गयी, अब सरकार बदनाम हो रही है, शीला भी तो जवान हुयी थी, वो भी हिट थी अब भ्रष्टाचार जवान है तो... हल्ला मच गया. चलिए सब हो गया अब देश की सोचतें हैं, ये देश हमारा है, ये ना रामदेव से सुधरेगा ना इस सरकार से बिगड़ेगा, इसे सुधारना और बिगाड़ना हमारे हाथों में है, कुछ करो इस देश के लिए, फेसबुक पर पोस्ट कर सेलिब्रिटी बनाना बंद करो.
(आशुतोष पाण्डेय)