शनिवार, 30 जुलाई 2011

हिन्दुओं को एकजुट होना होगा: सुब्रहमन्यम स्वामी

जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रहमन्यम स्वामी के डी.एन .ए इंग्लिश डेली में लिखे एक लेख को लेकर अमेरिका के हावर्ड विश्विद्यालय में हंगामा खडा हुआ है. १६ जुलाई को लिखे एक सम्पादकीय में उन्होंने भारतीय हिन्दुओं से मुस्लिम कट्टर पंथी से निपटने के लिए एकजुट होने को कहा है. स्वामी कह रहें हैं जहां मदिर गिरा कर मस्जिद बनाई गयीं थी, फिर मंदिर बना दिए जाएँ. जो लोग या समुदाय हिन्दुओं को अपने पूर्वज मानने को तैयार ना हों उन्हें तो भारत में मताधिकार से वंचित करने की वकालत भी उन्होंने कर डाली है. १३ जुलाई को मुंबई बम हमलों की प्रतिक्रिया स्वरूप लिखे इस सम्पादकीय में उन्होंने पाक प्रायोजित और मुस्लिम आंतंकवादी इतिहास को देखते हुए भारत के मुसलमानों के हिन्दुओं के खिलाफ आत्मघाती बनने की शंका जाहिर की है. हावर्ड विश्विद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर सुब्रहमन्यम स्वामी के इस लेख ने अमेरिका के इस प्रसिद्ध विश्विद्यालय में एक नयी बहस को जन्म दिया है. २५० से अधिक छात्रों और उनके अभिभावकों के द्वारा भेजे गये एक इलेक्ट्रानिक पत्र में ये आशंका जताई गयी है की स्वामी के इस बयान देश में एक समुदाय विशेष के छात्रों के सम्मान को ठेस पहुंची है. इस के चलते विश्विद्यालय को स्वामी से सम्बन्ध समाप्त कर देने चाहिए. भारत और अमेरिका दोनों देश कट्टरपंथी आतंकवाद का शिकार भी हैं, और अभी दोनों इस आतंकवाद से निपटने को एकजुटता भी दिखा चुके हैं. ऐसे समय में इस बहस के कई मायने मिल सकते हैं, वैसे खुद सुब्रहमन्यम स्वामी को खबरों में बने रहने का शौक भी है. इस लेख में तो उन्होंने हिन्दू मानसिकता को ललकारा है कि यदि यहूदी दस साल गैस चेम्बरों में रहकर बकरी से शेर बन सकतें हैं तो हिन्दू क्यों नहीं? उन्होंने लिखा है की हिन्दू दस नहीं पांच सालों में ये कर सकते हैं. इस पर जहां हावर्ड में कड़ी प्रतिक्रिया हुयी है वहीं भारत में ना ही कोई इस बारे में बोला है, ना ही सरकार ने कोई स्टेंड लिया है. अब देखना है भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग इस पर क्या प्रतिक्रिया देगा?

(आशुतोष पाण्डेय)