गुरुवार, 31 मई 2012

अन्ना की टीम ने बनाया संसदीय व्यवस्था का मजाक


नाम सिविल सोसायटी, काम लोकतंत्र और संसद का मजाक, कभी संसदीय व्यवस्था को गाली तो कभी देश के  संघीय ढ़ाचे के खिलाफ परिलक्षित मंशा. ये है अन्ना की टीम जो किसी भी गाली का प्रयोग कभी भी कहीं भी कभी  भी कहीं भी कर ले. प्रधानमंत्री को शिखंडी कह कर इस लोकतांत्रिक व्यवस्था का खुला मजाक उड़ाना फिर भी सिविल कहलवाना ये तो अन्ना और टीम का शगल ही लगता है, जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की टीम लड़ रही है, उसके लिए वो जनता के बीच जाने से क्यों गुरेज कर रही है... इस देश में संसदीय व्यवस्था है और संसद ही सर्वोच्च भी है. संसद में चुने जाने वाले वहाँ खुद नहीं पहुंचे हैं इस देश की जनता ने उन्हें वहाँ भेजा है. संसद को और उसके लोकतांत्रिक ढ़ाचे की यूं मजाक बनाना कहाँ तक उचित है... अन्ना जिस देश की जनता को लेकर ये तमाम आंदोलन खड़े कर रही है उसकी क्षमताओं पर विश्वास क्यों नहीं कर रही है. संसद और उसके नुमायांदों का फैसला जनता खुद कर लेगी और इससे पहले कई मौकों पर किया भी है. दरअसल अन्ना और उनके साथी राजनितिक लिप्सा के शिकार हैं और जनता के बीच सीधे जाने से डर कर देश को अस्थिर कर कमोबेश पाकिस्तान के जैसे हालात यहाँ बनाना चाहतें हैं. अगर ऐसा नहीं है तो टीम अन्ना खुद संसद में अपना बहुमत ले और फिर खुद को साबित करे. ये सच है कि सिविल सोसायटी के किसी भी सदस्य की संसद तक पहुँच जायें ये  हिम्मत नहीं दिखती है. खैर अंतिम फैसला तो जनता की अदालत में ही होगा लेकिन... क्या आज संसद की मर्यादा को भंग ना होनें दे ये जिम्मेदारी हमारी नहीं है... इस देश की जनता को सोचना होगा हम आज आदम युग में नहीं जी रहें हैं ये सभ्यता का युग है और यहाँ शुचिता बरकरार रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है. टीम अन्ना के बयानों से आज हमारी संसदीय व्यवस्था जिस पर समूचे विश्व में हम छाती फूला के चलते थे आज लांछित हुयी है. 

बुधवार, 30 मई 2012

इनसाईट स्टोरी: खुदा जाने क्या होगा बहुगुणा का

इनसाईट स्टोरी: खुदा जाने क्या होगा बहुगुणा का: शह और मात के खेल में कब किसका मोहरा पिट जाए कहा नहीं जा सकता है, कमोबेश यही कुछ आजकल उत्तराखंड में चल रहा है. मुख्यमंत्री बहुगुणा के लिए...

खुदा जाने क्या होगा बहुगुणा का

शह और मात के खेल में कब किसका मोहरा पिट जाए कहा नहीं जा सकता है, कमोबेश यही कुछ आजकल उत्तराखंड में चल रहा है. मुख्यमंत्री बहुगुणा के लिए सितारगंज के भाजपा विधायक किरण मंडल से इस्तीफा दिला कर कांग्रेस ने सीट तो खाली करा ली लेकिन साथ ही मौक़ापरस्ती और जोड़-तोड़ की राजनिती को सिरपरस्ती करने का मौक़ा दे दिया. चूंकि किरण मंडल बंगाली समुदाय से आते हैं, जिनका प्रतिशत इस सीट पर २५ से भी ज्यादा है... इसी के चलते भाजपा ने उन्हें टिकट भी दिया था. सरकार ने यहाँ बंगालियों को जमीन पर भूमिधरी हक देने की बात कह कर जनहित में किरण मंडल के इस्तीफे को भुनाने की कोशिश की जरूर है लेकिन      इस सीट को खोने देने के हक में बीजेपी भी नहीं है... और पार्टी हाई कमान खुद इस सीट पर तवज्जो ले रहा है, आगामी तीन जून के मुख्यमंत्री के द्वारा खुद सितारगंज में ही अपने इस सीट से चुनाव लड़ने का खुलासा करने की योजना है. अभी तो शह और मात के इस खेल में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है लेकिन कब किसका कौन सा मोहरा कब और कौन पीट दे ये कहना राजनीती में संभव नहीं दिखता है. भाजपा एक बार फिर इस सीट पर बंगाली उम्मीदवार को उतार कर बहुगुणा की मुसीबतों को कई गुना बढ़ा सकती है और खुद कांग्रेस का एक गुट भी बहुगुणा के खिलाफ लामबंद हो सकता है. यहाँ एक बाहरी व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतारने को भी मुद्दा बनाया जा सकता है. ऐसा कर मुख्यमंत्री ना बन पाने की खुर्नस भी निकाली जा सकती है. शायद कांग्रेस का ये गुट बसपा और समाजवादी उम्मीदवार को भी इस सीट पर ना उतरने के लिए तैयार कर सकता है. अगर ऐसा हो गया तो बहुगुणा खुद के बुने जाल में फंस सकतें हैं.
(आशुतोष पाण्डेय) 


मंगलवार, 29 मई 2012

बालिकाएं फिर अव्वल: उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षा परिणाम

उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा में इस बार छात्राओं ने बाजी मारी है। हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम 70.26 % और इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम 78.49% रहा है। हाईस्कूल में 76.10 प्रतिशत बालिकाओं और 64.97 प्रतिशत बालकों ने सफलता पाई है। जबकि इंटरमीडिएट में 83.44 प्रतिशत बालिका एवं 73.84 बालकों ने सफलता हासिल की है।
इंटरमीडिएट में पूर्णानंद इंटर कालेज जसपुर की इरम सैफी ने 92.40 प्रतिशत हासिल कर राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है जबकि हाईस्कूल में जीआईसी रामनगर के समीर रियाज 95.80 अंकों के साथ टॉपर रहे हैं। अन्य दो टॉपरों में इंटर में शुभम गुप्ता (विद्या मंदिर बाबूगढ़, विकासनगर, देहरादून) 91.80 प्रतिशत अंक लेकर दूसरे और संजीव कुमार (आरकेएम विद्या मंदिर इंटर कालेज बाजपुर) 90.20 प्रतिशत अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहे हैं। हाईस्कूल में हरगोविंद सुयाल विद्या मंदिर हल्द्वानी की अदिति मंमगाई 94.60 प्रतिशत अंक लेकर दूसरे और विद्या मंदिर मुनस्यारी के सिद्धार्थ कुमार ने 93.80 प्रतिशत अंकों के साथ तीसरा स्थान पाया है। बोर्ड सचिव डॉक्टर डीके मथेला के मुताबिक सभापति के रूप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल ने परीक्षाफल घोषित किया। प्रदेश में 12 से 30 मार्च तक 1226 केंद्रों पर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा हुई थी। इसमें पंजीकृत 3.16 लाख में से करीब आठ हजार परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे थे। इन केंद्रों में से 188 केंद्र संवेदनशील थे। मूल्यांकन कार्य 10 से 25 अप्रैल तक हुआ था। एजुकेशन मंत्रा की निदेशक श्रीमती सुषमा पाण्डेय ने सभी छात्र छात्राओं को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा उत्तराखंड बोर्ड के विद्यार्थियों के द्वारा भी अब काफी हद तक उच्चतम प्रदर्शन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के द्वारा 96 फीसदी तक नंबर लाने के कारण अब विद्यार्थियों का रुझान इस और बढ़ेगा.
उत्तराखंड  10 वीं और 12 वीं का रिजल्ट जानने के लिए यहां क्लिक करें।

रविवार, 27 मई 2012

अधिकारी और कर्मचारी ही लगा रहें हैं विभाग का पलीता

इस साल भीषण गर्मी और देशव्यापी बिजली कटौती से जीना दूभर हो रहा है. लेकिन बिजली चोरी भी खुलेआम चल रही है. उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर में बिजली चोरी का अपना एक रिकार्ड है. यहाँ विद्युत वितरण की जिम्मेदारी उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन के पास है. जिन्हें जिम्मेदार बनाया गया है वे ही इस चोरी में शामिल हो विभाग को चूना लगा रहें हैं. यहाँ आलम ये है कि बड़ी संख्या में उपभोक्ता किसी ना किसी रूप में चोरी में शामिल हैं. इसमें पोल से सीधे कटिया डालकर, मीटर के साथ छेड़खानी कर, बाईपास करवा या कनेक्शन लेने के तीन सालों बाद भी बिना मीटर के बिजली जला रहें हैं. ये सब व्यापक स्तर पर हो रहा है, एक ही कालोनी में कई घर ऐसे हैं जहां ये सब चल रहा है. अधिकारी और कर्मचारी इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं... जब भी इस बाबत कुछ पूछा जाता है तो सब ठीक किया जा रहा कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। वास्तविकता तो यह है की कर्मचारियों और अधिकारियों मिलीभगत के बिना इतने व्यापक स्तर पर चोरी नहीं की जा सकती है। यदि कहीं किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसी शिकायत की भी जाती है तो अधिकारी कहीं कोई कार्रवाई नहीं करते दिखते हैं. इस प्रकार घाटे में चल रहे यूपीसीएल को प्रति माह करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है. अब यूपीसीएल चोरी पकडवाने वाले व्यक्ति या संस्था को प्रोत्साहन राशि देने की बात भी कह रहा है (पढ़िए कार्यालय ज्ञाप, प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड पावर कारर्पोरेशन), लेकिन जब हमाम में सभी नंगे हों तो इस प्रकार की योजनायें महज खानापूर्ति ही कही जा सकती हैं. ये कहानी कमोबेश सारे उत्तराखंड की है. हमारी टीम ने कई उपभोक्ताओं से बात की जो अवैध तरीके से बिजली जला रहे थे. तो उनका जवाब था कि हम बकायदा हर महीने पैसा दे रहें हैं तो फिर चोरी कैसी? जब उनसे पूछा गया कि आप मीटर क्यों नहीं लगवा लेते हैं तो उनका जवाब था हम कई बार कर्मचारियों को पैसा दे चुके हैं वो मीटर लगा ही नहीं रहें हैं. अगर ये सब सच है तो स्थिति काफी दयनीय है और यूपीसीएल को तुरंत कड़े कदम उठाने ही पड़ेंगें. यदि सही तरीके से विद्युत् वितरण किया जाय और चोरी को पूर्ण तया रोक दिया जाय तो निश्चित तौर पर यूपीसीएल को बड़ा राजस्व प्राप्त होगा और बिजली की कमी से जूझ रहे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी.

(इनसाईट स्टोरी टीम)
उधमसिंह नगर