बुधवार, 25 दिसंबर 2013

केजरीवाल का लोकपाल : केजरीवाल कहीं ना हो जायें फेल

मैं क्या करूं ये कानून ही ऐसा था, कांग्रेस ने छिपा कर रखा था.
क्या सरकार बनाने के 15 दिन के अन्दर लोकपाल बिल पास करना केजरीवाल के बस की बात है? भले ही केजरीवाल कितनी भी कसमें खाएं लेकिन उनका पूर्व चरित्र भी बातों को उलझा कर छोड़ देना रहा है. ये एक बड़ा सवाल है दरअसल दिल्ली के पास एक केंद्र शासित राज्य का दर्जा है. केजरीवाल खुद कहा कि केंद्र ने एक ऑर्डर पास किया है, जिसकी वजह से कानून बनाने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है लेकिन जानकार बताते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली में यह व्यवस्था शुरू से है. दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍य सचिव उमेश सहगल ने हैरानी जताई है कि केजरीवाल को इन नियमों की जानकारी पहले क्‍यों नहीं थी?  उन्‍होंने कहा, 'केजरीवाल ने कहा है कि उन्‍हें अब पता चला है कि दिल्‍ली सरकार केंद्र की मंजूरी के बिना कोई कानून पारित नहीं कर सकती है. एक ओर जो केजरीवाल सभी नियमों को जानने की दुहाई देते रहे हैं इस मुख्य नियम को क्यों नहीं जान पाए. ये सब उनकी मंशा पर सवाल उठाते हैं.  केजरीवाल नए मसले पर कानून ला सकते हैं लेकिन ऐसे मसलों पर कानून लाने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत तो पड़ेगी ही जिन मसलों पर पहले ही कानून बने हैं. दिल्‍ली में तो पहले ही लोकायुक्‍त है और अब हाल में लोकपाल बिल भी संसद में पारित हुआ है. दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा, 'बिना केंद्र की मंजूरी के दिल्ली में लोकपाल बिल विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है. दरअसल, दिल्ली में केंद्रशासित प्रदेश की तरह ही कानून लागू होता है, इसलिए लोकायुक्त का कानून तैयार करके दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी के बाद उसे पहले उपराज्यपाल के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजना जरूरी होगा. गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और बाकी संबंधित मंत्रालयों से मशविरा करने के बाद लोकायुक्त बिल जरूरी संशोधनों के साथ वापस उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार को भेजेगी, जिसके बाद ही उसे विधानसभा की मंजूरी के लिए लाया जाएगा. जाहिर है इस पूरी प्रक्रिया में कई महीनों का वक्त लग सकता है. इन कानूनी बारीकियों के सामने आने के बाद विरोधियों को केजरीवाल पर फिर निशाना साधने का मौका मिल सकता है, और केजरीवाल को बचने का बड़ा बहाना.  कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसद में बिल पास हो चुका है, इसलिए केजरीवाल को कानून के दायरे में रहकर ही बिल पास करना होगा. 

कोई टिप्पणी नहीं: