बुधवार, 25 दिसंबर 2013

केजरीवाल आयेंगें कांग्रेसी जेल जायेंगें?

इस समय दिल्ली में सबसे ज्यादा बैचेन कोई है तो वो हैं कांग्रेसी नेता, जिनके कई मामले ऐसे हैं जिनकी जांच केजरीवाल करा सकते हैं. इसमें कामनवेल्थ घोटाला, शीला सरकार के मंत्रियों के द्वारा पद के दुरूपयोग का मामला और विधायक निधि के साथ कई योजनाओं की जांच की जा सकती है. इसी कारण कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा कांग्रेस के आप को समर्थन का विरोध कर रहा लेकिन कांग्रेस पर इस समय डैमेज कंट्रोल का दवाब ज्यादा है, इस लिए कुछ नेताओं की बलि भी कांग्रेस देने को तैयार है. 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान निर्माण कार्यों में की गई भारी गड़बड़ी की खबरें देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी थी. सुरेश कलमाड़ी तो इस मामले में जेल भी जा चुके हैं. आम आदमी पार्टी इस घोटाले को जोर-शोर से उठाती रही है. अगर आम आदमी पार्टी की सरकार कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की जांच शुरू करवाती है, तो शीला सरकार के कई मंत्री इसके फंदे में आ सकते हैं. इसके अलावा कई अन्य फाइलें भी खोली जा सकती हैं, कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के विधायकों की भी जांच करवाई जा सकती है. इसकी ओर केजरीवाल एक 2 मिनट का विडियो जारी कर इशारा भी कर चुके हैं. इन मामलों में कई मामले तो केंद्र सरकार से भी जुड़े हैं और अगर कोई जांच करवाई जाती है और करवाई ही जायेगी तो गाज केंद्र सरकार पर भी गिर सकती है और कुछ मामलों में तो पीएमओ सीधे लपेटे में आ सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले यदि कोई नया मामला खुलता है और उसमें कोई कांग्रेसी नेता लपेटे में आता है तो कांग्रेस के लिए जवाबदेही मुश्किल हो सकती है. यही बैचेनी कांग्रेस को खाए जा रही है जिस तरीके से दिल्ली के कांग्रेस नेताओं को बलि का बकरा बनाया जा रहा है उनमें गुस्सा जायज है और इसका परिणाम भी जल्द सामने आ सकता है. बस केजरीवाल अपनी टीम को अनुशासित रख लें जो काम कल बिन्नी ने किया उसकी पुनरावृति ना हो तो शायद केजरीवाल स्वराज के पहले अध्याय को सच कर सकें. 

केजरीवाल का लोकपाल : केजरीवाल कहीं ना हो जायें फेल

मैं क्या करूं ये कानून ही ऐसा था, कांग्रेस ने छिपा कर रखा था.
क्या सरकार बनाने के 15 दिन के अन्दर लोकपाल बिल पास करना केजरीवाल के बस की बात है? भले ही केजरीवाल कितनी भी कसमें खाएं लेकिन उनका पूर्व चरित्र भी बातों को उलझा कर छोड़ देना रहा है. ये एक बड़ा सवाल है दरअसल दिल्ली के पास एक केंद्र शासित राज्य का दर्जा है. केजरीवाल खुद कहा कि केंद्र ने एक ऑर्डर पास किया है, जिसकी वजह से कानून बनाने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है लेकिन जानकार बताते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली में यह व्यवस्था शुरू से है. दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍य सचिव उमेश सहगल ने हैरानी जताई है कि केजरीवाल को इन नियमों की जानकारी पहले क्‍यों नहीं थी?  उन्‍होंने कहा, 'केजरीवाल ने कहा है कि उन्‍हें अब पता चला है कि दिल्‍ली सरकार केंद्र की मंजूरी के बिना कोई कानून पारित नहीं कर सकती है. एक ओर जो केजरीवाल सभी नियमों को जानने की दुहाई देते रहे हैं इस मुख्य नियम को क्यों नहीं जान पाए. ये सब उनकी मंशा पर सवाल उठाते हैं.  केजरीवाल नए मसले पर कानून ला सकते हैं लेकिन ऐसे मसलों पर कानून लाने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत तो पड़ेगी ही जिन मसलों पर पहले ही कानून बने हैं. दिल्‍ली में तो पहले ही लोकायुक्‍त है और अब हाल में लोकपाल बिल भी संसद में पारित हुआ है. दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा, 'बिना केंद्र की मंजूरी के दिल्ली में लोकपाल बिल विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है. दरअसल, दिल्ली में केंद्रशासित प्रदेश की तरह ही कानून लागू होता है, इसलिए लोकायुक्त का कानून तैयार करके दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी के बाद उसे पहले उपराज्यपाल के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजना जरूरी होगा. गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और बाकी संबंधित मंत्रालयों से मशविरा करने के बाद लोकायुक्त बिल जरूरी संशोधनों के साथ वापस उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार को भेजेगी, जिसके बाद ही उसे विधानसभा की मंजूरी के लिए लाया जाएगा. जाहिर है इस पूरी प्रक्रिया में कई महीनों का वक्त लग सकता है. इन कानूनी बारीकियों के सामने आने के बाद विरोधियों को केजरीवाल पर फिर निशाना साधने का मौका मिल सकता है, और केजरीवाल को बचने का बड़ा बहाना.  कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसद में बिल पास हो चुका है, इसलिए केजरीवाल को कानून के दायरे में रहकर ही बिल पास करना होगा. 

A.K-47 के जनक ने ली दुनिया से विदा

 मिखाइल कलाशनिकोफ़
कलाशनिकोफ़ राइफ़ल (A.K-47) का आविष्कार करने वाले मिखाइल कलाशनिकोफ़ का निधन हो गया है. वे 94 साल के थे. क्लाशनिकोलव ने जिस ऑटोमैटिक राइफ़ल को डिज़ाइन किया वो दुनिया का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है. इस रायफल ने बंदूकों की दुनिया में एक क्रान्ति ला दी थी. दूसरी बंदूकों के मुकाबले बेहद साधारण होने की वजह से इसे बनाना काफ़ी आसान था और इसकी देखरेख भी आसान थी. हालांकि कलाशनिकोफ़ को रूसी सरकार से सम्मान मिला था लेकिन उन्होंने इस हथियार से बहुत कम ही पैसा कमाया. एक बार उन्होंने कहा था कि उन्होंने घास काटने वाली कोई मशीन डिज़ाइन की होती तो उनके पास ज़्यादा पैसे होते. मिखाइल कलाशनिकोफ़ को अंदरूनी रक्तस्त्राव की वजह से नवंबर में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कलाशनिकोफ़ का जन्म रूस के पश्चिमी साइबेरिया में 10 नवंबर 1919 को हुआ था.

क्या होगा केजरीवाल का: शपथ लेगें या फिर कोई नया ड्रामा


अरविन्दर सिंह लवली 
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में आप के बगावत के ड्रामे के बाद बड़ी फूट दिख रही है, पार्टी का एक बड़ा धड़ा आम आदमी पार्टी को समर्थन का विरोध कर रहा है और कल रात दिल्ली प्रदेश कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने काफी बड़ा हंगामा किया है, इन हंगामा करने वालों को सांसद संदीप दीक्षित का समर्थक बताया जा रहा है. आप को समर्थन पर शीला दीक्षित ने भी कड़ा रूख अख्तियार किया है, जब तक आप हमारे हिसाब से चलेगी तभी तक समर्थन जारी रहेगा. लेकिन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर लवली का कहना है यदि सरकार सही ढंग से काम करेगी तो पांच साल तक हमारा समर्थन जारी रहेगा. जब हमने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से बात की तो सबने कहा की आप को समर्थन दे कांग्रेस अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है. यही बात कुछ भाजपा समर्थकों ने भी कही कि केजरीवाल की आस्था लोकतंत्र जैसे शब्दों में नहीं है उन्हें तानाशाही का शौक है और जब तक मुख्यमंत्री हैं बस वे इसी शौक को पूरा करेंगें. लेकिन वर्तमान में बड़ा सवाल है कि क्या केजरीवाल शपथ के लिए मंच तक पहुचेंगे भी या नहीं क्योंकि एक ओर पार्टी के करीब चार विधायक नाराज हैं जिसमें एक तो खुल कर बगावत का बिगुल बजा चुके हैं और दूसरी ओर कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी कलह के चलते अंतिम समय में कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा पता नहीं चल रहा है. वैसे विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सोनिया और राहुल पार्टी को निर्देश दे चुके हैं की आप की सरकार बनने दें. आज और कल ये दो दिन काफी महत्वपूर्ण हैं और दिल्ली ही नहीं देश की सियासी राजनीति का भविष्य भी यही तय करेंगें.

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आप की हंडिया फोड़ दी बिन्नी ने:आप में बगावत