रविवार, 17 अगस्त 2014

मांझी डुबो ना दें मोदी की नैया


एक ओर दिल्ली में लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए माता-पिता को दोष दे रहें हैं कि माँ-बाप अपने लडकों पर बंधन नहीं लगाते हैं, लोग तालियाँ बजाते हैं. मोदी खुश हैं कि लोग तालियाँ बजा रहें हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री का भी एक लड़का प्रवीण मांझी है जिस पर एक महिला कांस्टेबल के शोषण का आरोप लगा तो उनका कहना है की उनका लड़का क्या अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ घूम भी नहीं सकता है जबकि पार्कों में आमतौर पर ऐसे जोड़े दिखते हैं. गौरतलब है की बोध गया के एक होटल में  कर्मचारियों द्वारा होटल का बिल जमा ना करवाने पर मांझी के बेटे और उनके आई साथ महिला कांस्टेबल को भी कमरे में बंद कर दिया था. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ी थी लेकिन बाद में होटल वाले को कुछ पैसा दे मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया. इसके बाद राज्य भाजपा के द्वारा भी मोर्चा खोला गया तो जीतन मांझी का महादलित का रोना शुरू हो गया की एक महादलित को मुख्यमंत्री बना देख कुछ नेताओं को बुरा लग रहा है, इसी कारण वे उनके खिलाफ प्रचार कर रहें हैं.
अब सवाल मोदी जी से क्या जीतन मांझी आपके उन तथाकथित बापों में शामिल नहीं जिनका जिक्र लाल किले से किया गया था. क्योंकि आप ना इस विषय पर कुछ बोले हैं और ना ही कोई एक्शन आप की ओर से दिख रहा है. क्या लालकिले से किया प्रलाप एक दिखावा मात्र था वैसे इस प्रकार के भ्रम में आप देश की जनता को डालते आयें हैं. लेकिन लगता है ऐसे मांझी आप की नैया डुबो ही देंगें. इसलिए ज़रा सोचिये लालकिले की प्राचीर से बोलने की एक मर्यादा होती है या होनी चाहिए... खैर अब आप से क्या कहना... आप तो वहीं बोलेंगें जो बोलने को कहा जाएगा... बिना देखे 1 घंटे के जिस प्रलाप पर आपकी तारीफ़ हो रही है उसकी धज्जियां तो 24 घंटे में ही मांझी जैसों ने उड़ा दी.