शनिवार, 6 अगस्त 2016

गुजरात की कहानी में भाजपा का लोकतंत्र

भाजपा सिर्फ चंद लोगों के हाथों में खेल रही है, इसके सबसे बड़े खिलाड़ी अमित शाह ही साबित हो रहें हैं. कल गुजरात में विजय रूपानी को जिस तरह मुख्यमंत्री बनाने में अमित शाह की भूमिका रही उससे ये साफ़ हो गया है कि पार्टी में खुली राजशाही है. नितिन पटेल को अंतिम क्षणों में उपमुख्यमंत्री का झुनझुना थमा दिया गया. सच कहें तो मोदी और शाह की टीम अपनी जिद के आगे किसी को ना टिकने देने के सिद्धांत पर काम कर रही है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इस सब का कोई फायदा भाजपा को मिलना है, अगले साल होने वाले चुनावों में भाजपा को गुजरात सहित कई राज्यों में अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा. कुछ चुनावी सफलताओं ने मोदी और शाह को अति अभिमानी बना दिया है, बिहार चुनाव में मोदी ने जिस तरह बिहार के डीएनए को ललकारा था उसके चलते बिहार में भाजपा की लोटिया डूब गयी, उत्तराखंड और अरूणांचल में चंद भाजपाइयों की अतिशयता ने पार्टी को बदनाम कर डाला है. गुजरात में रूपानी को अम्बानी और अदानी के साथ जोड़ कर सोशल मीडिया में खासी चुटकियाँ ली जा रही हैं. सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थकों की धार काफी कुंद हुयी है, दरअसल महंगाई, आंतकवाद, कश्मीर और दलित उत्पीडन के मुद्दे पर सवालों पर घिरे समर्थक कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं. यही सोशल मीडिया मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक लाने की मुख्य कड़ी था. दिल्ली में राज्य सरकार को परेशान करना भी लोगों को नहीं सुहा रहा है, लोग इसे केंद्र की गुंडागर्दी करार दे रहें हैं, इसका सीधा फायदा "आप" पंजाब में उठायेगी ये तय है. 

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